स्वर्गीय राधेश्याम सिंह (उर्फ मोहन सिंह) की छठी पुण्यतिथि पर विशेष श्रद्धांजलि: स्मृतियों और प्रेरणाओं का एक भावुक अवसर

आरा के सम्माननीय स्वर्गीय राधेश्याम सिंह, जिन्हें मोहन सिंह के नाम से भी जाना जाता था, की छठी पुण्यतिथि 20 सितंबर, 2024 को एक विशेष स्मृति दिवस के रूप में मनाई गई। इस भावुक अवसर पर उनकी बहू डॉ. स्मिता सिंह, जो एस.एन. मेमोरियल स्कूल आरा की डायरेक्टर और प्राइवेट स्कूल एण्ड चिल्ड्रन वेल्फेयर एसोसिएशन (PSACWA) भोजपुर की वर्तमान प्रेसिडेंट हैं, ने अपने ससुर (पापा) को भावनात्मक श्रद्धांजलि अर्पित की। 

स्वर्गीय राधेश्याम सिंह (उर्फ मोहन सिंह) की छठी पुण्यतिथि

स्वर्गीय राधेश्याम सिंह (उर्फ मोहन सिंह) की छठी पुण्यतिथि

डॉ. स्मिता सिंह ने इस अवसर पर अपने ससुर (पापा)) के प्रति गहरे सम्मान और कृतज्ञता को प्रकट करते हुए कहा, "पापा आपके दिए हुए संस्कार और सीख ने मुझे वह आधार दिया है, जिससे मैं हर चुनौती को पार कर सकी हूं। आप हमेशा मेरे साथ थे, हैं, और रहेंगे।" यह शब्द न केवल उनकी भावनाओं का प्रतीक थे, बल्कि उन मजबूत संबंधों को भी उजागर करते हैं, जो एक पापा और बहू के बीच पनपे थे।

इस अवसर पर स्मिता सिंह ने अपने दिल की गहराइयों से निकली भावनाओं को कुछ मार्मिक काव्य पंक्तियों के माध्यम से प्रकट किया, जो वहां उपस्थित हर व्यक्ति के ह्रदय को छू गईं:

 

"आपकी परछाई में ही थी मेरी राह

आपकी बातों ने दी मुझे हर चाह। 

जो सिखाया था आपने हर एक पल में

वो ही बना मेरे जीवन का सफल पल।

 

आपका साया आज भी मेरे साथ चलता है

हर मुश्किल में आपका आशीर्वाद मिलता है। 

काश आप होते और देख पाते आज,  

कैसे आपकी बहू ने पाया है यह साज।

 

आपके बिना हर जीत अधूरी लगती है

आपकी यादें ही मेरे जीवन की सच्ची पूंजी है। 

आपका नाम लेकर ही मैं आगे बढ़ती रहूं

आपकी प्रेरणा से यूं ही मंजिल पाती रहूं।"

 

इन मार्मिक पंक्तियों के माध्यम से, स्मिता सिंह ने अपने ससुर (पापा) के प्रति अपने अपार प्रेम और आभार को दर्शाया। उन्होंने अपने जीवन की सफलता और हर कदम पर मिली जीत का श्रेय मोहन सिंह द्वारा दिए गए समर्थन और शिक्षाओं को दिया। उनकी प्रेरणा, स्नेह और आशीर्वाद ने ही डॉ. स्मिता को इस मुकाम तक पहुँचने की ताकत दी।

स्वर्गीय मोहन सिंह समर्पण और प्रेरणाओं की धरोहर  

S.N.M SCHOOL


स्वर्गीय मोहन सिंह का जीवन सादगी, प्रेम और ज्ञान का प्रतीक था। उनके आदर्शों और शिक्षा ने न केवल उनके परिवार को प्रेरित किया, बल्कि समाज में भी एक अमिट छाप छोड़ी। उनके द्वारा दिए गए संस्कार और मार्गदर्शन को आगे बढ़ाते हुए, डॉ. स्मिता सिंह ने अपने शिक्षकों और छात्रों के साथ उनके विचारों को साझा किया, ताकि यह धरोहर अगली पीढ़ियों तक पहुंच सके।

यह पुण्यतिथि न केवल मोहन सिंह के जीवन और उनकी शिक्षाओं को याद करने का अवसर थी, बल्कि उनके परिवार द्वारा उन्हें सम्मानपूर्वक स्मरण करने और उनके आदर्शों को आत्मसात करने का प्रतीक भी थी। उनके द्वारा छोड़ी गई प्रेरणाओं की छाप उनके परिवार और समाज को हमेशा मार्गदर्शन देती रहेगी।

उनके परिवार और विद्यालय के सभी सदस्यों ने एकजुट होकर इस विशेष दिन को उनकी स्मृतियों और शिक्षाओं के प्रति समर्पित किया। उनका जीवन, उनकी प्रेरणाएं, और उनका स्नेह आज भी उनके परिवार के हर सदस्य के ह्रदय में जीवित है, और आने वाली पीढ़ियां भी उनसे प्रेरित होती रहेंगी। 

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